21 February 2013

निश्चय.....


 

जीवन के ये रिश्ते ये नाते

क्या हम इन्हें हैं निभा पाते??
ये कैसा है सवाल?

क्या होगा इसका कोई जवाब?
मेरे हर जवाब मैं है एक सवाल
और हर सवाल में उसका जवाब

क्या पाया और क्या खोया मैंने जीवन में
और क्या पाने की इच्छा है मन में
हाँ प्यार पा कर विश्वास खोयां है

इस विश्वास का साथ और साथी का हाथ
पाने की इच्छा है मन में
जानती हूँ कुछ भी नहीं निश्चित जीवन मैं
पर हार ना मानूंगी ये निश्चय है मन मैं....
ये निश्चय है मन में.......... 

वर्षा.....



बदरा ने आज फ़िर ली अंगडाई
बरखा फ़िर आज लौट आई
फ़िर ज़ोर की गर्जन कानों तक आई
जैसे बदरा ने बरखा को आवाज है लगायी

दोनों के मन मे एक ही आस
मिलन की बेला मे बुझ जाए ये प्यास

पल पल जला हूँ बिरहा की अग्नि मे
मैं भी कुछ ऎसी थी उस अनजाने से नगरी मे

न भूख थी न प्यास थी तो बस मिलने की आस
कहने को सब पर हूँ मैं बरसती
पर केवल तुमसे मिलने को ही हूँ मैं तरसती

बरखा ने जब यह व्यथा सुनाई
बदरा की भी आंखे भर आयी
गरज उठा बदरा यह देख
बरस पड़ी बरखा यह देख

दोनों ने व्याकुल मन से व्यथा सुनाई
तभी तो वर्षा इस धरती पर आई