29 October 2012

विद्रोह


विद्रोह

छलक कर अखियों के मोती
जब सुख चुके होंगे...तब होगा विद्रोह...
औरों के भीड़ मे अपने अस्तित्व को जब,
 ना पाने का हो आभास तब होगा विद्रोह.....
जब सूरज की लालिमा भी मन के अन्धकार
को उज्जवल न केर पाए तब होगा विद्रोह.....
कभी सुन पाए गर अपने अंतर्धवानी को
तब कहीं होगा विद्रोह.....

सुख शांति की कामना लिए
जब मन अडिग हो
अपने कर्मों पर अथाह विश्वास हो
और ह्रदय में सत्य का वास हो 
तब कहीं हो पाए गा विद्रोह..................!!!!!!!!